काश मैं भारत में होता
हर रोज़ मुझे यह लगता है
कि काश मैं भारत में होता
माना मैंने पाया है बहुत यहाँ
नाम काम वैभव और धन
लेकिन अंजानो में यारों
ढूंढें से मिले ना अपनापन
हर रोज़ मुझे यह लगता है
कि काश मैं भारत में होता
ऐसा लगता है कहीं और मैं हूँ
मिटटी की वो खुशबू ही नहीं
कितनी भी कोशिश कर लूं मैं
यह देश अपना लगता ही नहीं
जिस घर में माँ का प्यार ना हो
पापा का जिसमें दुलार ना हो
भाई बहनों का साथ ना हो
वो घर तो है बस नाम का है
हर रोज़ मुझे यह लगता है
कि काश मैं भारत में होता
होठों पे मुस्कान लिए
यादों के झरोखे आते हैं
वो बात अलग है यारों कि
आँखों को नम कर जाते हैं
गलियों में घूमा करते थे
सब्जी वाले से लड़ते थे
बीस का नहीं दस का दो
कभी हम भी झक झक करते थे
चाट पकोड़ी खाते थे
बन्दर की टोपी लाते थे
विष अमृत खेला करते थे
और हम ना किसी से डरते थे
हर रोज़ मुझे यह लगता है
कि काश मैं भारत में होता
बैठे यहाँ हैं आज जो हम
है यह माँ की डांट का फल
उसको क्या पता था छोड़ के हम
चल देंगे उसका ही आँचल
जिस माँ ने हमको पाला है
हर मुश्किल से निकाला है
उसका दामन हम छोड़ चले
जब उसने हमको पुकारा है
हर रोज़ मुझे यह लगता है
कि काश मैं भारत में होता
जिस देश ने इतना प्यार दिया
जिन अपनों ने दुलार दिया
उनको भूल के बैठा हूँ
अपनी दुनिया में रहता हूँ
जब सोचता हूँ क्या होगा कल
डर लगता है यह सोच के भी
माँ बाप कहाँ मेरे जायेंगे
क्या होगा बच्चों का बचपन
संस्कार कहाँ से आयेंगे?
दादी नानी का प्यार दुलार
मेरे बच्चे कैसे पायेंगे
हर रोज़ मुझे यह लगता है
कि काश मैं भारत में होता
अब तक मैंने अपना ही सोचा
कभी ना सोचा अपनों का
अपने सपनो के चक्कर में
ना सोचा अपनों के सपनो का
हर रोज़ मुझे यह लगता है
कि काश मैं भारत में होता
मन करता है अब मेरा
सारा प्यार वापस लौटाने का
जिस देश ने मुझे सक्षम किया
उस देश को उंचा उठाने का
जी जान से मेहनत करनी है
अपनों का सपना सजाना है
अपने देश का क़र्ज़ चुकाना है
मुझे भारत वापस जाना है